शुक्रवार, 21 जुलाई 2017

छलकते आँसू Save Priyanshu

आदरणीय सभी को मेरा सादर प्रणाम..!
आज जो कहने जा रहा हु जरा सोचियेगा...!
कभी कभी जिंदगी न जाने क्यों भार लगने लगती है,  अब सोचता हूं कि ओर क्या कर सकता हु, जो अपने बेटे को बचा सकू...?
उसे आगे का जीवन दे सकू...?
मेरी जगह आप कभी अपने आप को रखकर सोचिये........
जब आप अपने घर जाते है, और आपका मासूम सा बेटा आपकी गोद मे आता है, प्यार करता है, जिद करता है, और कहता है कि मैं बड़ा होकर ऐसा बनूंगा ये करूँगा वो बहुत से सवाल करने लगता है....!
और आप बस मुस्कुराते हुए उसे लाड़ करते है..!और प्यार से उसकी बातें सुनते ओर जवाब देते है।
फिर अचानक आपको याद आये.....
की आपका यही बेटा आपके साथ कुछ समय तक ही है... और वह ज्यादा समय तक रहेगा भी नही...!
तब आप इतना मजबूर फील करने लगते हो जैसे कि चाहकर भी कुछ न कर पाना, जैसे बेटा अनेको दिन से भूखा हो  खाना नसीब नही हो रहा और जहाँ मिला वहाँ कीमत इतनी की अपने आप को बेचकर भी बेटे का पेट न भर पायु तब इस फिलिंग को फील करईयेगा।
दिन भर सोचता रहता हूं रास्ता ढूंढता रहता हूं,
ओर रात कब सुबह में बदल जाती है पता ही नही चलता। फिर सुबह से निकल जाता हूं एक तलास में ओर जिंदगी की उम्मीद में कुछ नए संपर्क बनाने।
जो पहुँचा दे मेरे बेटे को उसकी जिंदगी तक। लेकिन जो भी करता हु, उम्मीद तो नही मिलती सिर्फ और सिर्फ नाकामयाबी हाथ लगती है।
कभी थोड़ी तो कभी बहुत उम्मीदें जगने लगती है कि शायद कोई फरिस्ता आ जाये और मेरे बेटे को जीवनदान दे जाए। कोई मेरी मदद को निकल आये। पर अफसोस उम्मीद छुटती नही है और रास्ता मिलता नही।
कुछ दिन पहले की बात है मेरे दर्द की आवाज को किसी ने सुना और बहुत गंभीर हो गए मेरी मदद के लिए। मैं तो उनका नाम भी नही जानता हूँ लेकिन हां इतना जरूर कह सकता हूँ कि GOD किसी न किसी को आपकी मदद के लिए जरूर भेजता है, जैसे इन सज्जन को भेजा Sir ने आवाज के साथ साथ आर्थिक मदद भी भेजी।
मैने कई बार नाम जानना चाहा लेकिन वह कहते है नाम मे क्या रखा है दोस्त इंसान वही जो इंसान के वक्त पर काम आये। ये ट्वीटर लिंक है उनका 
Take a look at Not really Indian (@Demonetized8_11): https://twitter.com/Demonetized8_11?s=09
ये जो Sir का नाम Not Really Indian है ये सिर्फ इन्होंने मेरे कारण बदल दिया नही तो पहले किसी ओर नाम से ट्वीटर पर थे। जिन्होंने अकेले मेरे लिए आवाज उठाई और 2 ही दिनों में पूरे भारत मे अनेको सज्जनो से मुझे जोड़ दिया।
Most Thanks to प्रमोद जी (साड्डा हक एथे रख) ऐशवर्य वर्मा, धर्मेन्द्र ( सरकार ), साहिल जी,  अंकिता जी, M(@brightdays19) ओर भी बहुत से साथियों ने मेरे लिए ट्वीटर पे ट्रेंड मदद के लिए #HelpSagarMeshram चलाया!
इस उम्मीद पे की कोई तो मदद को आगे आएगा। 3 दिनों तक सभी ने भरपूर कोशिस की मेरे बेटे को जीवन मिल सके इलाज मिल सके सभी जगह तक मेरी बात पहुँचा दी।
अब इन्तेजार था किसी के मदद करने का जो सिर्फ इन्तेजार ही रह गया। दिन बीतने लगे और महीना होता आया लेकिन मदद नही आई।
अब वक्त के साथ सभी को ये लगने लगा है की अब शायद कुछ नही हो सकता।
जो मदद करने में सक्षम हैं वो मदद करना नही चाहते ओर जो सक्षम नही है वो चाहकर भी कुछ कर नही पाते।
धीरे धीरे अब 3 माह होने वाले है और वैसे भी अगर होना रहता तो कबका इलाज भी हो जाता। ये सब कहते है...!
लेकिन अभी मैंने ओर बहुत से साथियो ने उम्मीद नहीं छोड़ी है।
क्योंकि वो कहते है ना कि इंसान को आखिरी समय तक उम्मीद नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि कुछ तो जरूर हासिल होगा। या तो मंजिल मिलेगी या फिर नया तजुर्बा।
अगर मालिक मुझे इस लायक बनाया होता तो मैं अपना सबकुछ बेचकर भी उसे बचाने की कोसिस करता लेकिन अफसोस कि इस लायक नही हुँ।
इसलिए यहाँ तक पहुँचना मेरे लिए एक सपने की तरह है।
इसलिए इस सपने को पूरा करने और ओर बेटे के जीवन के लिए सिर्फ संघर्ष कर रहा हुँ की शायद अपने बेटे को बचा सकूँ।
क्योंकि अभी भी इस दिल को बहुत सी उम्मीद बंधी हुई है की शायद श्री नरेन्द्र मोदी जी श्री सुषमा स्वराज जी सभी मिलकर कोई न कोई मदद जरूर कर दे।
इसलिए मैं अब बस उनके रिप्लाय का इंतज़ार कर रहा हूँ इसके सिवा ओर क्या करूँ...?
जो सब कर सकता था वो सब किया लेकिन मेरी आवाज सही कानो तक नही पहुंचा सका इसका मुझे हमेशा अफसोस रहेगा क्योंकि बहुत सारी उम्मीदें थी मुझे भी ओर सभी साथियो को...!
फिर भी जो हो सकता है वो कोसिस जरूर करता हूं और आगे भी करता रहूंगा।अगर आपको कोई रास्ता नजर आए तो plz बताइयेगा जरूर।
शायद आपकी छोटी सी मदद मुझे मेरी मंजिल तक पहुचाने में मददगार साबित हो।
किसी ने सत्य कहा है कि
जिन्दगी की पाठशाला में
अनुभव ऐसा सख्त शिक्षक है,
जो परीक्षा पहले लेता है
सिखाता बाद में है !!
धन्यवाद
सागर मेश्राम
9806135319

#SavePriyanshu. " दर्द और संघर्ष एक पिता का "

" ऐ जिंदगी " कभी तो दे खुशियों की दस्तक मेरे भी घर पर.., कब तक यूँ मुझसे दूर मेरे हक की खुशियां रखेगी .."  आदरणीय सभी...